Saturday, 2 July 2011

इश्वर दर्शन कैसे हो .....!

जैसे अत्यंत पिपासा से व्याकुल होकर मनुष्य जल की बूंद के लिए छटपटाता है और एक छण की देर भी सहन नहीं कर सकता वैसी दस जब भगवान्  के दर्शन के लिए भक्त की हो जाती है तब भगवान् को भी एक छण का विलम्ब असत्य हो जाता है और वे अपने सारे ऐश्वर्य वैभव को भुलाकर उस नगण्य मानव के सामने प्रगट हो कर उसे कृतार्थ करते है ......!
श्री राधे ....! 

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