जब आनंद बांटती हरियाली
गेहूं में दूध और बाली हो !
तो समझो.. साल नया है
जब गणगौर पुजती कन्याएं
गुड़ी पडवा की रस्म निभाती हो !
तो समझो.. साल नया है
मुस्कुराते आम के मोझर
भार से लदी अमरुद की डाली हो
तो समझो.. साल नया है !
उत्साह समेटे बैशाखी..
जब पोंगल गीत सुनाती हो
तो समझो.. साल नया है !
जब उपासना हो दुर्गा की
नवरात्र मनाई जाती हो !
तो समझो...साल नया है !
सजे संसार स्वागत में..
लला राम की अगुवाई हो
तो समझो.. साल नया है
- शशि प्रभा

Pujniya Shashi Prabha ji
ReplyDeleteAapko hamara hardik pranam
Navvarsh harsh aur milan ka parva
Hai aur hum asha karte hai ki sarvada har varsh anand aur mel milap se bhara rahe
Aapki kavita humne padhi
Bahut hi achha sandesh
aapne samaj ko diya hai...